यूपी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अब रात में भी डॉक्टर हर हाल में मिलेंगे। यदि वह मौके पर न पाए गए तो उन पर विभागीय कार्रवाई होगी। प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की रात की सेवाएं दुरुस्त करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। रात के वक्त डॉक्टर से लेकर अन्य स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य है। इसके लिए सभी मंडलीय अपर निदेशकों को जिम्मेदार बनाया गया है।चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने दो दिन पहले सभी मंडलीय अपर निदेशकों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों की बैठक करके हर सामुदायिक स्वास्थ्य केद्र की स्थिति के बारे में जानकारी ली। डॉक्टर व अन्य स्टाफ की तैनाती से लेकर दवा के इंतजाम के बारे में गहन समीक्षा की।वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान बताया गया कि प्रदेश की 972 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी)में करीब नौ करोड़ मरीजों को उपचार दिया जाता है, जिसमें करीब 20 लाख मरीजों को भर्ती किया गया। प्रमुख सचिव ने निर्देश दिया कि सभी सीएचसी को रात के वक्त भी पूरी तरह से क्रियाशील रखा जाए। रात के वक्त आने वाले मरीजों को भर्ती करने से लेकर जांच तक की सुविधा दी जाए। रात के वक्त आने वाले हर मरीज को भर्ती किया जाए। सिर्फ गंभीर मरीजों को ही जिला अस्पताल अथवा अन्य उच्च अस्पतालों में रेफर किया जाए। उन्होंने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों, अपर निदेशकों को निर्देशित किया कि रात के वक्त अस्पताल में डॉक्टर व अन्य स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित कराई जाए। सभी उपकरण पूरी तरह से क्रियाशील रहें। उन्होंने मंडलीय अपर निदेशकों सीएचसी में रात के वक्त डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए जिम्मेदार बनाया। यह भी निर्देश दिया कि रात के वक्त अस्पतालों का निरीक्षण किया जाए।