आर्मी प्ले स्कूल के नाम पर बच्चों का कैदखाना मिला। यहां शनिवार को हुई दो साल के बच्चें की मौत के बाद गुरुवार को टीम ने छापा मारा तो पता चला कि यहां बच्चों का बचपन कुचला जा रहा है। टीम ने बच्चों से बातचीत की तो पता चला कि छोटी-छोटी गलतियों पर सर मुर्गा बनाकर पीटते हैं। कमरे की लाइट बंद कर जबरन सोने को कहा जाता है।
हरियाणा के फरीदाबाद स्थित पल्ला एरिया के प्ले स्कूल में बच्चों से क्रूरता, नशीला पदार्थ देने के मामले में प्ले स्कूल संचालक व अन्य के खिलाफ पल्ला थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। शुक्रवार को बाल कल्याण समिति के सदस्य की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि एफआईआर में जेजे एक्ट की धारा 75, 77 व बीएनएस की धारा 126, 127 (3)(4) लगाई गई हैं। इनमें जेजे एक्ट की धारा 77 सबसे गंभीर है जिसमें 7 साल तक की सजा व 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। मामले में जांच की जा रही है।
नियमों को ताक पर रख चल रहा था स्कूल
बाल कल्याण समिति के सदस्य सुनील यादव ने शुक्रवार को पुलिस को शिकायत दी। जिसमें बताया गया कि 17 अप्रैल को बाल कल्याण समिति फरीदाबाद और बाल संरक्षण इकाई फरीदाबाद की संयुक्त टीम ने पल्ला एरिया के प्ले स्कूल में निरीक्षण किया। ये कार्रवाई टीम ने 13 अप्रैल को अखबार में छपी प्ले स्कूल में 2 वर्ष के बच्चे की मृत्यु पर संज्ञान लेते हुए की। टीम ने आर्मी पब्लिक प्ले एंड क्रैच स्कूल (प्ले स्कूल एंड डे केयर) सरस्वती कॉलोनी शनि बाजार में निरीक्षण के दौरान पाया कि स्कूल, प्ले स्कूलों के लिए नियामक दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर संचालित किया जा रहा है।
कुछ खिला-पिलाकर सुलाये गए बच्चे
आरोप है कि रिकॉर्ड के अनुसार स्कूल में बच्चों की कुल संख्या 103 है जो कि स्कूल के क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत ज्यादा है। स्कूल संचालक पंकज ने स्कूल मान्यता से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया। टीम ने कमरे में 34 बच्चों को सोता हुआ पाया, कमरे के साइज के मुताबिक बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा थी। सो रहे बच्चों को देखकर लगा कि बच्चों को कुछ खिला-पिला कर सुलाया गया है। स्कूल के ऊपर के दो कमरों में भी बच्चे सोते मिले।
सुरक्षा के नहीं थे इंतजाम, हाइजीन लेवल जीरो
टीम जब निरीक्षण के लिए स्कूल के दरवाजे पर पहुंची तो कई बार डोर बैल बजाने पर दरवाजा खोला गया। दरवाजा खोलने के बाद स्कूल संचालक ने टीम को निरीक्षण करने में बाधा पहुंचाई व जबरन रोकने का प्रयास किया। स्कूल में निरीक्षण के दौरान एक भी महिला स्टाफ नहीं मिला। स्कूल में कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं थे। स्कूल में हाइजीन लेवल जीरो है। स्कूल में बच्चों ने बताया कि 16 से 18 बच्चे 24 घंटे रहते हैं।
स्कूल में मिला बासी आटा, खाना और एक्सपायर डेट की कोल्ड ड्रिंक
बच्चों ने बताया कि यहां उन्हें पीटा भी जाता है। स्कूल में बच्चों के हालात देखते हुए टीम ने डॉक्टरों की टीम को बुलवाया। कुछ बच्चों की हालत सही नहीं थी तो उन्हें अस्पताल भेजकर दाखिल करने को कहा गया। स्कूल में एक्सपायरी डेट की कोल्ड ड्रिंक, बासी गुंथा आटा और बासी खाना पाया गया। इसी के आधार पर पल्ला थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
प्लेस्कूल के नाम पर मासूमों का कुचल रहे थे बचपन
आर्मी प्ले स्कूल के नाम पर बच्चों का कैदखाना मिला। यहां शनिवार को हुई दो साल के बच्चें की मौत के बाद गुरुवार को टीम ने छापा मारा तो पता चला कि यहां बच्चों का बचपन कुचला जा रहा है। टीम ने बच्चों से बातचीत की तो पता चला कि छोटी-छोटी गलतियों पर सर मुर्गा बनाकर पीटते हैं। कमरे की लाइट बंद कर जबरन सोने को कहा जाता है। कोई जगा मिला तो उसे पीटा जाता है।
हो चुकी है दो साल के बच्चे की मौत
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्य सुनील यादव ने बताया कि बच्चों के बयान और यहां के हालात देखकर स्कूल को खाली कराकर सील करने और संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। शनिवार 12 अप्रैल को संदिग्ध हालात में इस प्ले स्कूल में पढ़ने वाले 2 साल के नीतिश की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की वजह पता नहीं चलने पर विसरा फोरेंसिक लैब भेजा गया है। पुलिस उस रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इसी प्रकरण पर फरीदाबाद पुलिस के कहने पर गुरुवार को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जिला बाल कल्याण संरक्षण की टीम यहां पहुंची।
प्ले स्कूल में नहीं थे खिलौने
टीम ने पाया कि 50 गज के प्लॉट पर बने स्कूल में तीन कमरों में 72 बच्चे मौजूद हैं। एक कमरे की लाइट जलाई तो जमीन पर गद्दे डालकर 34 बच्चों को जबरन सुलाया गया था। प्ले स्कूल में बच्चों के लिए खिलौने तक नहीं थे। कमेटी के सदस्यों ने जब बच्चों से पूछा तो पता चला कि 18 बच्चे स्कूल में रात को भी ठहरते हैं। प्ले स्कूल संचालक पंकज ने बच्चों के रिकॉर्ड के लिए रजिस्टर भी नहीं रखा है। पूछताछ में उसने बताया कि स्कूल में 103 बच्चे हैं।
नौकरीपेशा लोगों के हैं बच्चे, वसूलते थे 4000 से 8000 रुपये फीस
स्कूल के आसपास के नौकरी करने वाले लोग रात के समय अपने बच्चों को स्कूल में छोड़ देते थे, ऐसे में स्कूल संचालक की ओर से रात के समय स्कूल में रुकने वाले बच्चों के अभिभावकों से प्रत्येक विद्यार्थी का एक महीने का करीब आठ से नौ हजार रुपये फीस लेते हैं, वहीं, रोजाना घर से आने जाने वाले बच्चों से करीब चार से पांच हजार रुपये फीस वसूलते थे।