मोहन भागवत ने सामाजिक समरसता आयाम की बैठक में कहा कि मंदिर, कुआं, नल, तालाब, श्मशान घाट पर हर हिंदू का अधिकार है।सरसंघचालक मोहन भागवत ने महानगर प्रवास के दूसरे दिन मंगलवार को संघ की गतिविधि सामाजिक समरसता आयाम से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ बैठक किया। उन्होंने कहा कि जातिवाद और बिरादरीवाद में उलझने के बजाए हम हिंदू हैं, इस भावना के साथ हर किसी को जोड़ना है। इसके लिए सिर्फ शहरी क्षेत्र ही नहीं गांव-गांव अभियान चलाकर काम करना है। भागवत ने कहा कि जिस तरह संघ के स्वयं सेवक जाति से परे होकर वर्षों एक दूसरे के साथ काम करते हैं, उसी भाव को सभी हिंदुओं के बीच पैदा करना है।उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्य और स्वभाव के माध्यम से हम हिंदू है कि मानसिकता से समाज का निर्माण करना है। कहा कि ऐसी कोई जाति नहीं जिसने देश के उत्थान और देश पर आए संकटों अपना योगदान न दिया हो। सभी जातियों ने समाज को महापुरुष दिए हैं।आरएसएस प्रमुख के अनुसार मंदिर, कुआं, नल, तालाब, श्मशान पर हिंदू समाज की सभी जातियों का समान रूप से अधिकार है। कहा कि संघ के प्रत्येक स्वयंसेवक का स्वभाव समरसता है। उनका कहना है कि संघ से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति में समरसता का भाव होना स्वभाविक है। बताया कि संघ के शताब्दी वर्ष में संघ का साहित्य लेकर हमें गांव-गांव जाकर लोगों को संदेश देना है। हम सभी को यह काम लक्ष्य बनाकर करना होेगा। एक निश्चित समय के अंदर करना होगा। कहा कि सभी को यह संकल्प लेकर काम करना है कि सामाजिक विषमता को समाप्त करेंगे।उन्होंने समता युक्त, शोषण मुक्त, जाति विद्वेष मुक्त भारत बनाने पर जोर दिया। संघ के स्वयं सेवक का स्वभाव समाज के प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव बने, इस दृष्टिकोण से और तेजी के साथ काम करना है। शुरुआत में प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख रवि शंकर ने चल रही गतिविधियों की जानकारी सरसंघचालक को दी। बैठक में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक श्रीराम, प्रांत संघ चालक भवानी भीख, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र सिंह, सह प्रांत प्रचारक मुनीश सहित प्रांत के 21 जिलों के जिला समरसता प्रमुख तथा विभाग समरसता प्रमुख उपस्थित रहे।