मौलाना अब्बास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 32 लाख मुसलमानों को “मोदी की सौगात” किट दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री अल्पसंख्यकों को विश्वास में लेने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा शासित राज्य सरकारें ऐसे निर्णय ले रही हैं, जो समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
यूपी की राजधानी लखनऊ में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने हरियाणा सरकार द्वारा ईद-उल-फितर की छुट्टी रद्द करने पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने इसे भारत की गंगा-जमुनी तहजीब पर हमला करार दिया। कहा कि यह एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत है। उन्होंने इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की।
मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के त्योहारों को मिलकर मनाने की परंपरा रही है। ईद, होली, दीपावली जैसे पर्व सामाजिक सौहार्द और भाईचारे के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का यह निर्णय न केवल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट है, बल्कि देश की सदियों पुरानी साझी संस्कृति के खिलाफ भी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे फैसलों और तत्वों पर नियंत्रण रखना चाहिए, जो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार कर ईद-उल-फित्र की छुट्टी बहाल करनी चाहिए, ताकि सभी समुदायों के बीच विश्वास बना रहे और देश की सद्भावना को कोई आंच न आए।