आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश को निवेश करने वाली सोलर कंपनी से रिश्वत मांगने के मामले में विभागीय कार्यवाही शुरू करने के लिए नियुक्ति विभाग ने उन्हें आरोपों की चार्जशीट भेज दी है।
आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश को निवेश करने वाली सोलर कंपनी से रिश्वत मांगने के मामले में विभागीय कार्यवाही शुरू करने के लिए नियुक्ति विभाग ने उन्हें आरोपों की चार्जशीट भेज दी है। इस चार्जशीट में आईएएस अभिषेक प्रकाश से निवेशक कंपनी की ओर से लगाए गए आरोपों पर जवाब मांगा गया है। चार्जशीट के जवाब के बाद नियुक्ति विभाग आगे की कार्यवाही करेगा।
नियुक्त विभाग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश को दी गई चार्जशीट पर मिलने वाले उनके जवाब के आधार पर नियुक्ति विभाग इस पूरे मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त करेगा। ये जांच अधिकारी किसी सेवानिवृत्त आईएएस अफसर के अलावा कोई न्यायिक सेवा का अधिकारी भी हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही का निर्णय लिया जाएगा।
यहां बता दें कि 2006 बैच के आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित किया गया था। उन पर यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी में सोलर कलपुर्जों का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने वाली कंपनी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस मामले में गोमतीनगर थाने एफआईआर लिखी गई थी। इसमें दलाल निकांत जैन को आरोपी बनाया गया था। एसएईएल नाम की कंपनी ने आरोप लगाए थे कि यूपी में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की अनुमति के लिए इंवेस्ट यूपी में दलाल के जरिये 5 प्रतिशत घूस मांगने की शिकायत की गई थी। सीएम ने इस पूरे मामले में तत्काल जांच के आदेश दिए थे।
बता दे कि अगर किसी आईएएस अफसर को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया जाता है, तो नियम के तहत उस अधिकारी को अधिकतम दो साल के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। इस समयावधि में अधिकारी के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच किया जाना अनिवार्य है। वहीं अगर किसी आईएएस अफसर को भ्रष्टाचार के अलावा किसी अन्य आरोप में सस्पेंड किया जाता है, तो अधिकतम एक साल के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान नियुक्ति विभाग को अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करनी होती है।